आनंद महिंद्रा: सबसे अलग और कूल एट्टीट्यूड वाला बिजनेस टायकून

ट्विटर पर इनके सेन्स ऑफ़ ह्यूमर की खूब तारीफें होती है।

आप बिजनेस वाले दुनिया से ताल्लुक रखते हैं या नहीं इससे फर्क नहीं पड़ता है। आप हिंदुस्तान में रहते हैं यही बहुत है। अगर आप गाँव में रहते हैं तो आपकी मुलाकात ट्रैक्टर से होती होगी या फिर अगर आप शहर में रहते हैं तो आपकी मुलाकात गाड़ियों से। गाँव का ट्रैक्टर भी महिंद्रा और शहर का स्कॉर्पियो भी महिंद्रा। तो आज बात करेंगे इसी महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन मिस्टर आनंद महिंद्रा के बारे में। जानेंगे इनके व्यक्तित्व के दूसरे पहलुओं के बारे में भी जो आम तौर पर बिजनेस टायकून में नहीं होते हैं या फिर अगर होते भी होंगे तो वो उसे दिखाते नहीं हैं।


आनंद महिंद्रा के बारे में वीडियो रूपांतरण देखें


पहले जानते हैं इनके बचपन और पढाई के बारे में – Childhood and Education of Anand Mahindra

1  मई 1955 को बॉम्बे में पैदा हुआ आनंद महिंद्रा के पिताजी का नाम मिस्टर हरीश महिंद्रा और माताजी का नाम इंदिरा महिंद्रा है। इनके बचपन की पढ़ाई लॉरेंस स्कूल, लवडेल में हुआ था।  लवडेल भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडू में नीलगिरि पर्वतों के बीच एक छोटा सा शहर है। स्कूलिंग खत्म होने के बाद वो एक फिल्म मेकर बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने साल 1977 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से फिल्म मेकिंग में ग्रेजुएशन भी किया। लेकिन ये परिवार के लिए काफी नहीं था। बिजनेस घराने से आने की वजह से उन्हें एमबीए वाली फॉर्मलिटीज भी पूरी करनी पड़ी। साल 1981 में उन्होंने हार्वर्ड के ही बिजनेस स्कुल से एमबीए का भी डिग्री लिया।

महिंद्रा कंपनी में जॉइनिंग – Joining in Mahindra and Mahindra

महिंद्रा कंपनी,इसकी स्थापना साल 1945 में इनके दादाजी श्री जगदीश चंद्र महिंद्रा ने अपने भाई मिस्टर कैलाश चंद्र महिंद्रा और एक इन्वेस्टर मलिक गुलाम मोहम्मद के साथ लुधियाना में शुरू किया था। 1947 में पार्टीशन के वक्त मलिक गुलाम मोहम्मद पाकिस्तान चले गए और बाद में वहां के पहले वित्त मंत्री बने। मिस्टर आनंद महिंद्रा के पिताजी हरीश महिंद्रा ज्यादा बिजनेस नहीं संभाले। उनके दादाजी के बाद यह बिजनेस उनके अंकल मिस्टर केशब महिंद्रा ने चलाया। साल 1981 में आनंद महिंद्रा ने महिंद्रा स्टील में फायनेंस डायरेक्टर के एक्जेक्यूटिव असिस्टेंट के रूप में ज्वाइन किया। आठ साल बाद साल 1989 में वो उस कंपनी के प्रेसिडेंट बन गए।

4 अप्रैल 1991 को वो महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन बन गए। और फिर 6 साल के बाद साल 1997 में महिंद्रा एन्ड महिंद्रा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर। महिंद्रा एन्ड महिंद्रा का मुख्य बिजनेस था गाड़ी और ट्रैक्टर बनाना। साल 2001 में वो कंपनी में वाइस चेयरमैन बने और फिर साल 2012 में उनके अंकल मिस्टर केशब महिंद्रा के रिटायरमेंट के बाद वो महिंद्रा एन्ड महिंद्रा ग्रुप में चेयरमैन बन गए। साल 2016 में वो वापस उस पद पर नियुक्त किये गए।

मुंबई के वर्ली में स्थित है महिंद्रा का हेड ऑफिस, जिसे महिंद्रा टावर्स कहा जाता है।

आनंद महिंद्रा भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग के साथ सामंजस्य स्थापित करने का एक परयर बन चुके हैं। उनके करिश्माई नेतृत्व में, कंपनी ने महिंद्रा स्कॉर्पियो, एक्सयूवी 500, महिंद्रा बोलेरो और महिंद्रा ट्रैक्टर जैसे वाहनों के साथ हिन्दुस्तान के साथ-साथ विदेशों में भी खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महिंद्रा ऑटोमोबाइल हमेशा से अग्रणी रहा है। जीप से लेकर स्कॉर्पियो और फिर बोलेरो, इन गाड़ियों का जैसा क्रेज गावों में दीखता है इसे किसी और गाड़ियों के लिए नहीं दिखता है।

महिंद्रा कपंनी के पास गाड़ियों का एक ह्यूज कलेक्शन है।

उन्हें बिजनेस के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए साल 2004 में राजीव गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उसी वर्ष उन्हें फ्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा नाइट ऑफ द ऑर्डर ऑफ मेरिट भी दिया गया था। उनके नाम ऐसे कई अन्य पुरस्कार और प्रशंसाएं हैं।

कोटक महिंद्रा फायनेंस लिमिटेड, जो कि एक नॉन-बैंकिंग संस्था थी उसे मिस्टर आनंद महिंद्रा ने साल 2003 में बैंक में कन्वर्ट कर दिया और उसका नाम रखा गया कोटक महिंद्रा बैंक। आज यह निजी क्षेत्र के शीर्ष बैंकों में से एक है। साल 2013 में, फोर्ब्स इंडिया मैगजीन ने आनंद महिंद्रा को “एंटरप्रेन्योर ऑफ़ द ईयर” चुना। साल 2014 में फॉर्च्यून मैगजीन ने उन्हें विश्व के 50 महानतम नेताओं में 40वें स्थान पर था।

साल 2016 में बैरॉन द्वारा जारी किये गए दुनिया भर के टॉप 30 सीईओ में आनंद महिंद्रा का भी नाम था जिसमें वो अमेजॉन के सीईओ ज्योफ बेजोस और गूगल के फाउंडर और अल्फाबेट के सीईओ लैरी पेज के साथ थे। यह बहुत ही सम्मानजनक बात है। यह मिस्टर महिंद्रा द्वारा दिखाए गए ग्लोबल लीडरशिप का नजारा था। साल 2018 में फ़ोर्ब्स इंडिया ने उन्हें भारत का 88वाँ सबसे अमीर व्यक्ति बताया।

भारत में आईपीएल के तर्ज पर होने वाले प्रो कबड्डी लीग के फाउंडर मेंबर में आनंद महिंद्रा भी हैं।

कुल मिलाकर देखा जाए तो मिस्टर महिंद्रा का बिजनेस सेन्स ऐसा है कि जहाँ ज्यादातर कंपनियां घाटे में रहती है वहीं महिंद्रा कंपनी हर साल बेहतर परफॉर्मेंस देती है। सौ से भी अधिक देशों में इनका बिजनेस चलता है जिसका रेवेन्यू लगभग 21 बिलियन डॉलर है, रूपये में बात करें तो यह लगभग 140 हजार करोड़ हो जाता है। अब आप बैठकर जीरो गिनते रहिए।

क्यों अलग हैं आनंद महिंद्रा – Why Anand Mahindra is a Coolest Business Tycoon?

मिस्टर आनंद महिंद्रा भारत के शायद ऐसे पहले बिजनेस टायकून हैं जो इतने विटी हैं। ट्विटर पर इनके जोक्स और कुछ फनी इमेजेज बहुतज्यादा वायरल होती है जिसे लोगों का भरपूर प्यार मिलता है। बड़े-बड़े लोग, अगर वो फिल्म इंडस्ट्री, क्रिकेट या फिर राजनीति से ना हो तो लोग उसे ट्विटर पर टैग नहीं करते हैं लेकिन लोगों के बीच महिंद्रा साहब इतने घुल-मिल गए हैं कि वो उन्हें आसानी से टैग कर देते हैं। उनके ट्विटर रिप्लाइज मजे लेकर पढ़े जाते हैं। एक बार एक महिंद्रा इलेक्ट्रिक बाइक के बारे में एक ट्विटर यूजर ने पूछा था – सर कितना देती है, इसपर मिस्टर आनंद महिंद्रा का रिप्लाय था कि यह इलेक्ट्रिक है – शॉक देती है।

ऐसे ही एक दूसरे यूजर ने उनसे एक महिंद्रा थार गाडी बर्थडे गिफ्ट में देने को बोला था, तो इसपर मिस्टर महिंद्रा का कहना था कि ऐसे तो मैं कंगाल हो जाऊंगा।

फोटोग्राफी में उनको विशेष रूचि है और साथ ही उनका फिल्ममेकिंग का ख्वाब किसी से भी छुपा हुआ नहीं है। म्यूजिक के शौक़ीन मिस्टर आनंद महिंद्रा ब्लूज़ सुनने का भी आनंद लेते हैं और 2011 से लगातार मुंबई में हर साल महिंद्रा ब्लूज़ फेस्टिवल का भी आयोजन करवाते हैं। कई इंटरनेशनल बिजनेस ऑर्गनाइजेशंस के वो मेंबर भी हैं।

महिंद्रा ब्लूज फेस्टिवल में अभिनेता सैफ अली खान और अन्य के साथ बीच में आनंद महिंद्रा।

साल 1996 में, उन्होंने नन्ही कली नामक सस्था की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारत में वंचित पृष्ठभूमि की लड़कियों को शिक्षित करना है। और यह संस्था अब तक 1 लाख 30 हजार से ज्यादा लड़कियों को शिक्षित कर चुका है। साथ ही वे नंदी फाउंडेशन के बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, जो ग्रामीण भारत में पीने का पानी, बच्चों के लिए शिक्षा, कृषि व्यापार और बेरोजगार युवाओं को काम खोजने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करता है।

नन्ही कली द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में आनंद महिंद्रा।

अभी हाल ही में वो अपने ऑफिस के बोर्डरूम मीटिंग में यूज होने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक बॉटल्स को हटवा दिया है और रिफीलेबल वाटर बोतल रख दिया गया है। पर्यावरण को बचने के लिए यह एक महत्वपूर्ण सन्देश है।

बिजनेस से इतर यह सब कुछ ऐसे काम है जो आनंद महिंद्रा को बाकी के बिजनेस टायकून्स से अलग बनाते हैं। आशा करते हैं कि उनके नेतृत्व में यह बिजनेस और आगे बढ़े और भारत को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने में मदद करे।

वीडियो: व्हाट्सएप्प के बनने की पूरी कहानी यहाँ देखिए

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