Thackrey Film Review starring Nawazuddin Siddiqui

फिल्म रिव्यू: ठाकरे

Thackrey Film Review starring Nawazuddin siddiqui
बालासाहेब ठाकरे की बायोपिक को सब अपने नजरिये से देख सकते हैं.

बालासाहेब ठाकरे. मुंबई में यह एक नाम मात्र नहीं है. यह एक प्रकार की श्रद्धा और भावना से भरी हुई समंदर है. एक ऐसा समंदर जिसकी अबतक किसी ने नाप नहीं ली. जरूरत नहीं पड़ी. यूँ तो रामगोपाल वर्मा ने साल 2005 में सरकार फिल्म बना दिया था, जिसमें बालासाहेब की लिगेसी को काफी हद तक दिखाया गया था. लेकिन अब जो फिल्म आयी है वो पूरी तरह से बालासाहेब ठाकरे की बायोपिक है.

कहानी क्या है फिल्म की. .!!

कोई कहानी नहीं है. सब सच है. बालासाहेब ठाकरे का युवावस्था, कार्टूनिस्ट की नौकरी, आत्मसम्मान की भूख, अपने लोगों के लिए कुछ करने की मंशा, अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हर एक कदम उठाना और लोगों को हमेशा ही हिम्मत और ताकत देना. यही बालासाहेब ठाकरे की कहानी है. असली वाली. इसी कहानी में कई मोड़ भी है, जहाँ पर लगता है कि अब क्या होगा? लेकिन तब जो हुआ वही तो बालासाहेब को बालासाहेब बनाती है.

nawazuddin siddiki as balasaheb thackrey
रील वर्सेस रियल

क्या फिल्म में सबकुछ सच दिखाया गया है?

हाँ. फिल्म में सबकुछ सच ही दिखाया गया है. कहीं भी फिल्म को नाटकीय बनाने के प्रयास नहीं किया गया है. और यकीन मानिये, यह कोई डॉक्यूमेंट्री जैसी नहीं लगती बल्कि एक कसी हुई फिल्म है. मद्रासी (सत्तर और अस्सी के दशक में सभी दक्षिण भारतीय को बम्बई में मद्रासी ही कहा जाता था.) आंदोलन से लेकर, भिवंडी में शिवयात्रा हर घटना को ईमानदारी से दिखाया गया है. किसी भी घटना को परदे के पीछे नहीं रखा गया है चाहे वो कृष्णा देसाई का मर्डर हो या फिर बालासाहेब कि हत्या की साजिश. वानखेड़े का पिच खोदना हो या हिंदुत्व की राजनीति. इन सभी घटनाओं को फिल्म में जगह दी गयी है और उसको बाकायदा जस्टिफाई भी किया है.

nawazuddin siddiki as balasaheb thackrey in shivaji park
बम्बई के शिवाजी पार्क से शुरू हुई यात्रा मुंबई के शिवाजी पर आकर थम गयी.

फिल्म को देखना ज़रूरी है क्या?

यह सवाल इसीलिए, क्योंकि यह बालासाहेब ठाकरे की जीवन पर आधारित है. उनकी बायोपिक है. महाराष्ट्र और मुंबई के बाहर लोगों के मन में उनके लिए कुछ गलतफहमियां हो सकती है. तो अगर ऐसी कोई ग़लतफ़हमी है तो इसको नज़दीकी थियेटर में जाकर देखा जा सकता है. बालासाहेब ठाकरे ने जो कुछ भी किया उन्होंने उसको जस्टिफाई भी किया. संभव है कि यह फिल्म साऊथ के लोगों को ठेस पहुंचाए लेकिन इतिहास को बदला तो बिलकुल भी नहीं जा सकता.

nawazuddin siddiki as balasaheb thackrey with uddhav and raj thackrey
फिल्म के एक दृश्य में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को भी दिखाया गया है.

अगर आप बालासाहेब ठाकरे को जानते हैं, आपने पढ़ा है उनके बारे में, तो इस फिल्म को देखने के बाद आपके मन में उनके लिए ज्यादा कुछ बदलने वाला नहीं है. क्योंकि यह फिल्म भी उतना ही दिखाती है जितना लोग उनके बारे में जानते हैं. यह एक पूरी यात्रा है. अभिनय के लिहाज से साहेब बने नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी काफी इम्प्रेसिव लगे हैं और उनके हावभाव से साहेब की झलक दिख जाती है. मीना ताई यानी की बालासाहेब की पत्नी बनी अमृता राव ने भी अच्छा काम किया है. सपोर्टिंग कास्ट में कोई कमी है. फिल्म को लिखे हैं संजय राउत, वो शिवसेना से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं और निर्देशक हैं अभिजीत पनसे.

फिल्म अच्छी है, देखी जानी चाहिए. बालासाहेब ठाकरे – एक प्रेरणादायक यात्रा.

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