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मनोहर पर्रिकर: फैशनेबल राज्य का सादा मुख्यमंत्री

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मनोहर पर्रिकर बेहद ही सादगी पसंद नेता थे।

भारत के पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। 63 साल की उम्र में उन्‍होंने आखिरी सांस ली। श्री पर्रिकर पैनक्रियाटिक (अग्नाशय) की कैंसर से पीड़ित थे। 13 दिसंबर 1653 को मापुसा, गोवा में जन्में श्री पर्रिकर देश के पहले ऐसे आईआईटी पासआउट नेता थे जो किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री बने। गोवा में खासे लोकप्रिय रहे मनोहर पर्रिकर गोवा के लोयोला हाई स्कूल से उन्होंने अपनी शिक्षा हासिल की थी। अपनी 12वीं की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने मुंबई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी में दाखिला लिया था और यहां से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। छात्र जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे। 26 साल में वे अपने गाँव मापुसा में ही शाखा प्रमुख बन गए थे। पहला चुनाव 1991 में लड़ा, पर हार गए। साल 1994 में गोवा की पणजी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पर्रिकर पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद उनका राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया। आखिरकार साल 2000 में बीजेपी पहली बार सरकार बनाने में कामयाब हुई।

बीजेपी ने मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना। इस तरह साल 2000 में वे पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री चुने गए। 2002 तक वे इस पद पर रहे। 2002 के चुनावों मेें बीजेपी को फिर से जीत मिली। इस बार पर्रिकर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। वे 2005 तक इस पद पर रहे। 2005 से 2012 के बीच बीजेपी राज्य में सत्ता से बाहर रही। आखिरकार पार्टी ने 2012 के चुनावों में जीत दर्ज की और पर्रिकर फिर मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी की पसंद बने। तीसरी बार श्री पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री की कुर्सी को सुशोभित कर रहे थे लेकिन अब कुछ बड़ा होने जा रहा था।

मोदी के लहर में देश को मिला सबसे दमदार रक्षा मंत्री

2014 में नरेंद्र मोदी की लहर में जब बीजेपी ने केंद्र में सत्ता में आयी फिर मोदी को ज़रूरत हुई मज़बूत सिपहसालारों की। इसकी एक कमी को श्री पर्रिकर भी पूरी करते थे। वो गोवा के मुख्यमंत्री पद के उतरकर अब देश के रक्षा मंत्री के पद पर बैठ गए। यह उनके राजनितिक तरकश में डाला गया सबसे उम्दा तीर था। जब भाजपा अपना प्रधानमंत्री के चेहरे को ढूंढ रहा था तब वो पर्रिकर ही थे जो नरेंद्र मोदी का नाम सबसे पहले आगे लाये थे। पर्रिकर के समय में ही 28–29 सितंबर, 2016 को सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। रक्षा मंत्री रहते पर्रिकर ने पाकिस्तान पर एक बयान दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि इस देश में जाना किसी नरक में जाने से कम नहीं है। पर्रिकर के इस बयान पर पाकिस्तान ने नाराजगी जताई थी। लेकिन हमें क्या, हमने तो सच बोला था। रक्षा मंत्री बनने के बाद उनको उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुना गया।

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मनोहर पर्रिकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी नेताओं में से एक थे।

जब पर्रिकर ने हॉस्टल में अपने दोस्त को उनके पिताजी से बचाया

कॉलेज के दिनों की एक घटना का जिक्र करते हुए श्री पर्रिकर बताते थे कि हॉस्टल में मेरा एक साथी सिगरेट, शराब पीता था, वह ब्राह्मण परिवार से था। एक दिन मैं कमरे में उसी दोस्त के साथ बैठा था। लड़के के हाथ में सिगरेट और शराब का पैग था। अचानक कमरे में उस लड़के के पिताजी आ गए। वो परेशान हो गया। मैं इन चीजों को हाथ नहीं लगाता था, पर उस दिन मैंने फौरन सिगरेट और शराब उसके हाथ से ले लिए। इससे पहले कि उसके पिता कुछ समझ पाते मैं रूम से बाहर आ गया। इस पर उस लड़के के पिता की टिप्पणी बड़ी दिलचस्प थी, जिसपर बाद में हमलोग खूब हँसे थे। वे बोले – बेटा ऐसे बच्चों की संगत में फिर कभी मत रहना।

स्कूटर वाले सीएम साहब. .!!

उत्तर भारत के नेता लोग ऐसे लाइफस्टाइल की कल्पना भी नहीं कर सकते। स्कूटर से ऑफिस जाना, किसी वीआईपी रेस्टोरेंट की बजाय फुटपाथ पर ही चाय नाश्ता। फुटपाथ पर भी चाय पीने के पीछे उनके अपने विचार थे, वो ये कि चाय की दुकान से मुहल्ले भर की खबरें मिल जाती हैं। वे कहते थे, नेताओं को टी स्टॉल पर चाय पीनी चाहिए। यहां से दुनिया भर की जानकारी मिल जाती है। लेकिन बाद में उन्होंने स्कूटर से चलना छोड़ दिया था। इसकी वजह भी उन्होंने बताई थी – “मैं अब स्कूटर नहीं चलाता। मेरा दिमाग काम से जुड़ी चीजों में लगा रहता है। ऐसे में अगर मैं स्कूटर चलाऊं और मेरा दिमाग कहीं और रहे, तो एक्सीडेंट हो सकता है। मैं अब स्कूटर चलाने से बचता हूं।”

बीमारी की हालात में भी वो लगातार काम करते रहे.

परिवार में किसे पीछे छोड़ गए हैं श्री पर्रिकर?

मनोहर पर्रिकर के मुख्यमंत्री बनने के ठीक एक साल बाद यानी की 2001 उनकी पत्नी ने इस दुनिया को छोड़ दिया। पत्नी के जाने के बाद पर्रिकर ने गोवा के सीएम की कुर्सी तो संभाली ही, साथ ही बच्चों की जिम्मेदारी भी अच्छे से निभाई। पर्रिकर के दो बेटे हैं, बड़े बेटे उत्पल पर्रिकर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। दूसरे बेटे अभिजीत बिजनेस करते हैं। कुछ दिनों पहले ही उत्पल ने कहा था कि राजनीतिक पद कड़ी मेहनत से मिलती है। इसे कोई भी पुश्तैनी जागीर समझकर हासिल नहीं कर सकता (काश यही बात हमारे देश के दूसरे नेता के बेटा भी समझ पाते), दूसरे बेटे अभिजीत बिजनेसमैन हैं। उनकी शादी उनकी पुरानी दोस्त साई से 2013 में हुई। अभिजीत पर्रिकर की शादी 2013 में हुई थी। उनकी पत्नी साई फार्मासिस्ट हैं।

चार बार मुख्यमंत्री थे तो पैसे तो होंगे ही, मगर कितने?

मनोहर पर्रिकर अपने पीछे 6.29 करोड़ रुपए की संपत्ति छोड़ गए हैं। 51 लाख रु। का बीमा कराया था। 6.36 लाख की ज्वेलरी थी। कृषि भूमि नहीं थी। लेकिन सोनारभट सोक्करो में 2.31 करोड़ रु। कीमत की 925 वर्ग फीट की पैतृक गैर-कृषि भूमि है। मापूसा में करीब 17 लाख की एक कॉमर्शियल बिल्डिंग है और पोरोवोरिम में 1 करोड़ रुपए कीमत का एक फ्लैट है। साल 2017 में श्री पर्रिकर की ओर से चुनाव आयोग को दिए गए संपत्ति के ब्योरे में दी गई है।

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गोवा में स्वर्गीय श्री पर्रिकर साहब की आखिरी विदाई। (PC: Scroll.in)

आप बहुत याद आएंगे पर्रिकर सर. . . .

दिन रविवार और तारीख 17 मार्च। शाम का वक़्त, लोग अभी पार्टी करने के मूड में घर से बाहर निकले ही थे कि यह दुःखद समाचार ने लोगों के पैरों में जंजीर बाँध दिया। लगा कि जैसे घड़ी रुक सी गयी है। दिल मायूस सा हो गया। आज भारत माता ने फिर से अपने एक सच्चे सपूत को खो दिया। यूपी-बिहार में जहाँ विधायक और सांसद भी गाड़ियों का काफिला लेकर चलते हैं वहीं पर्रिकर साहब का रहन-सहन बिलकुल अलहदा था। उनके नेतृत्व में गोवा का विकास एक अलग ही स्तर पर हुआ। वो लोग जो सदा जीवन और उच्च विचार में यकीन रखते हैं पर्रिकर साहब उनके लिए हमेशा एक मिसाल रहेंगे। सम्पूर्ण भारत आपका कर्जदार रहेगा। अलविदा पर्रिकर सर. . . .!!

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